नीरो

कविता

Akhilesh Srivastava Chaman

5/20/20211 मिनट पढ़ें

नीरो

अब दफ्न हो चुका है,

रह गया है शेष

सिर्फ मुहावरे में

या फिर

इतिहास के पन्नों में

यह सच्चाई नहीं

धोखा है,

महज एक गलतफहमी है।

सच्चाई यह है मेरे दोस्त !

कि नीरो

व्यक्ति नहीं

एक प्रवृत्ति है।

वह मरता नहीं

नाम बदल कर,

वेष बदल कर

बार-बार आता है।

कोई जरूरी नहीं

कि वंशी ही बजाये

नीरो आजकल

गाल बजाता है।

Related Stories