स्वर्गीय अटल विहारी वाजपेई की प्रत्युत्पन्नमति तथा वाक्-पटुता का एक संस्मरण मेरे पास भी है। बात सन् 1974 की है। उत्तर प्रदेश मेें विधान सभा के चुनाव हो रहे थे। जनसंघ पार्टी अटल जी को मुख्यमंत्री के रूप मेें पेश कर के चुनाव लड़ रही थी। जनसंघ ने नारा दिया था-‘‘यू0पी0 भर में है हलचल, मुख्यमंत्री होंगे अटल’’। बलिया के टाउनहाल के मैदान में अटल जी की सभा आयोजित थी। मैं उन दिनों राजकीय इण्टर कालेज बलिया में इण्टर का छात्र था और मुझको पत्रकारिता का नया-नया नशा लगा था। बलिया से उन दिनों निकलने वाला एक साप्ताहिक अखबार पूरी तरह से मेरे हाथ में था। स्थिति यह थी कि किसी भी पार्टी का कोई भी नेता ऐसा नहीं होता था जिसकी सभा में मैं पूरे समय तक उपस्थित न रहूॅं। सो अटल जी की उस सभा में मैं शाम से ही जा कर बैठ गया था।
अटल जी की सभा का समय सायं चार बजे निर्धारित था। उससे पहले उनका कार्यक्रम आजमगढ़ में था और आजमगढ़ की सभा के बाद बलिया आना था। उन दिनों नेताओं के दौरा का एक-मात्र साधन महेन्द्रा एण्ड़ महेन्द्रा की बिना दरवाजों वाली जीप हुआ करती थी जिसमें ऊपर तिरपाल लगा होता था। अटल जी अपने निर्धारित समय से लगभग चार घंटे देरी से बलिया की सभा में उपस्थित हुए। उनको सुनने के लिए लोग शाम से ही बैठे थे। मंच पर पॅंहुचते ही अटल जी ने माइक अपने हाथ में ले लिया और बोले-‘‘मुझे पता है कि मैं चार घंटे विलम्ब से आया हूॅं। मुझे पता है कि आप लोग शाम से ही यहाॅं बैठे हैं। लेकिन अपने विलम्ब से आने तथा आपको हुयी असुविधा के लिए मैं खेद प्रगट नहीं करूॅंगा। कारण कि इसमें रंच-मात्र भी मेरी गलती नहीं है। इसमें गलती आप लोगों की है।’’ इतना कहने के बाद वह अपनी आदत के अनुरूप एक मिनट के लिए चुप हो गए। लोग उत्सुकतावश उनका मुॅंह ताकने लगे। विराम के बाद अटलजी बोले-‘‘अरे भाई, सीधी सी बात है जब कांग्रेस की सड़क पर जनसंघ की जीप चलेगी तो वह समय से भला कैसे पॅंहुच सकती है। मैं आपके बीच समय से पॅंहुच सकूॅं यह तो तभी हो सकता है जब कि सड़क भी जनसंघ की हो और जीप भी जनसंघ की हो। और इसके लिए आप को प्रदेश में जनसंघ की सरकार बनवानी होगी।’’
कहना न होगा कि अटलजी के इतना कहते ही सभा में हॅंसी के फव्वारे फूट पड़े और माहौल एकदम से बदल गया।