क्रिसमस का उपहार
कहानी
पिछले एक हफ्ते से बहुत मजे थे। एक तो जाड़े के दिन उस पर क्रिसमस की लम्बी छुट्टियाॅं। आजकल सवेरे सो कर जल्दी उठने, नहा-धो कर हड़बड़-तड़बड़ तैयार होने और स्कूल जाने से बचत थी। इसलिए साइमन इन दिनों लिहाफ ओढ़े आराम से देर तक सोता रहता था। इन दिनों मम्मी भी जल्दी उठने के लिए नहीं कहती थीं। लेकिन आज कड़ी सर्दी के बावजूद मम्मी के जगाए बगैर ही वह सवेरे जल्दी उठ गया था। कारण कि आज क्रिसमस का त्यौहार था और सभी को समय से चर्च पॅंहुचना था। हर साल की तरह इस साल भी क्रिसमस के उपलक्ष्य में चर्च के अहाते में मेला लगा था। मेले के अतिरिक्त चर्च की तरफ से बच्चों के लिए खेल-कूद, दौड़, संगीत और पेंटिंग आदि कई तरह की प्रतियोगितायें भी आयोजित की गयी थीं। पिछले साल के क्रिसमस मेले मेें साइमन को एक भी पुरस्कार नहीं मिल सका था। इसलिए उसने मन में सोच रखा था कि चाहे जो हो जाए इस साल उसे कोई न कोई पुरस्कार अवश्य जीतना है।
जल्दी-जल्दी तैयार हो कर वह अपने पापा, मम्मी तथा छोटी बहन के साथ चर्च पॅंहुचा। वहाॅं चर्च के अहाते में ढ़ेर सारे बच्चे तथा उनके घरवाले पहले से इकट्ठे थे। टन्न-टन्न, टन्न्-टन्न् चर्च की घंटी बजते ही सभी लोग प्रार्थना घर में गए और प्रभु ईशू की प्रतिमा के सामने पंक्तिबद्ध खड़े हो गए। फादर ने प्रार्थना कराई। प्रार्थना के बाद सभी ने ईशू के आगे शीश नवाया और अपने गले में लटके क्रास को माथे से लगाया। उसके बाद सभी लोग बाहर मैदान में आ गए। चर्च के बड़े से मैदान में एक तरफ मेला लगा था जिसमें खाने-पीने के स्टाल और खिलौनों आदि की दुकानें सजी थीं। मैदान में दूसरी तरफ प्रतियोगिताओं के लिए तैयारी की गयी थी।
सबसे पहले बच्चों की दौड़ प्रतियोगिता होनी थी। दौड़ में भाग लेने वाले लड़के मैदान के एक छोर पर चूना से बने निशान पर एक के बगल एक खड़े हो गए। सभी प्रतियोगियों को दौड़ कर मैदान के दूसरे छोर पर बॅंधी रस्सी को छूना था। रेफरी के एक, दो, तीन बोलते ही सभी बच्चे दौड़ पड़े। साइमन पूरी ताकत लगा कर दौड़ रहा था। पहले वह सबसे आगे चल रहा था लेकिन आधी दूरी के बाद दूसरे नम्बर पर पॅंहुच गया। अभी तक तीसरे नम्बर पर चल रहा रोबिन अब सबसे आगे हो गया था।
साइमन अपनी पूरी ताकत लगाने के बावजूद भी रोबिन से आगे नहीं निकल पा रहा था। अचानक उसके मन में एक शरारत सूझी। उसने बगल में दौड़ रहे रोबिन के कंधे से अपना कंधा लड़ा दिया। अचानक लगे इस धक्के से रोबिन लड़खड़ा गया। वह सॅंभल पाता इतने में साइमन आगे निकला और दौड़ कर उसने सामने बॅंधी सस्सी को छू लिया। साइमन अपनी चालाकी पर बहुत खुश था। वह खुश था कि उसने दौड़ में पहला स्थान मार लिया है। लेकिन जब परिणाम घोषित हुआ तो उसे बहुत निराशा हुयी। प्रतियोगियों पर कड़ी नजर जमाए निर्णायकों ने साइमन की शरारत देख ली थी। उन लोगों ने साइमन को दौड़ से बाहर कर दिया। रोबिन को प्रथम, तीसरे स्थान पर रहे इनामुल को द्वितीय तथा चैथे स्थान पर रहे अब्राहम को तृतीय पुरस्कार विजेता घोषित कर दिया गया। साइमन खीझ कर रह गया। वह मन ही मन पछताने लगा कि अगर उसने रोबिन को धक्का न दिया होता तो पहला न सही दूसरा स्थान तो प्राप्त कर ही लेता। लेकिन प्रथम स्थान पाने के चक्कर में अब वह कहीं का नहीं रहा।
दोपहर बाद पेंटिग की प्रतियोगिता थी। आधा घंटा के निर्धारित समय में बच्चों को आर्ट पेपर पर क्रिसमस ट्री और सांताक्लाॅज की तस्वीर बनानी थी। प्रतियोगिता समय से शुरू हुयी। चर्च की लाॅन में बैठे सभी बच्चे सर झुकाए अपनी-अपनी पेंटिंग बनने में तल्लीन थे लेकिन साइमन का ध्यान अपनी पेंटिंग से अधिक अपने अगल-बगल बैठे बच्चों की पेंटिंग पर लगा था। वह इस बात को ले कर परेशान था कि कहीं दूसरे बच्चे उससे बढ़िया पेंटिंग न बना लें। अगर ऐसा हुआ तो उसको पुरस्कार नहीं मिल पाएगा। इसी चिन्ता में परेशान साइमन हर थोड़ी देर के बाद उचक-उचक कर दूसरे बच्चों की पेंटिंग को देखता और उनकी नकल करने की कोशिश करता रहा। इधर-उधर ताका-झाॅंकी में उसे समय का ध्यान ही नहीं रहा। अभी उसकी आधी पेंटिंग ही बनी थी कि समय समाप्त होने की घंटी बज गयी। साइमन इस प्रतियोगिता में भी कोई पुरस्कार नहीं पा सका। वह मन मसोस कर रह गया।
उसके बाद शाम के समय गाने की प्रतियोगिता थी। साइमन ने इस प्रतियोगिता के लिए काफी अच्छी तैयारी की थी। एक महीना पहले से ही वह गले में गिटार लटकाए गाने का अभ्यास करता आ रहा था। लेकिन दिन में लगातार दो प्रतियोगिताओं में असफलता मिलने के कारण वह अपना आत्मविश्वास खो चुका था। वह इतना घबड़ा गया था कि जब गाने के लिए स्टेज पर गया तो अपना गीत बीच में ही भूल गया। उसके जरा सा अॅंटकते ही सामने की पंक्ति में बैठे लड़के, लड़कियाॅं तालियाॅं बजा कर हो-हो करने लगे। फिर तो साइमन इतना नर्वस हो गया कि कुछ भी नहीं कर सका। अपने बाल नोचता, पैर पटकता वह स्टेज से उतर आया।
चर्च में देर रात तक क्रिसमस का उत्सव चलता रहा, भाॅंति-भाॅंति के कार्यक्रम होते रहे लेकिन साइमन को कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था। इस साल फिर वह हर प्रतियोगिता में फिसड्डी निकला था। इस साल फिर उसको कोई पुरस्कार नहीं मिल सका था। घर आने के बाद भी वह उदास ही रहा और अपने बिस्तर में चुपचाप सो गया।
आधी रात बीतने के बाद अपनी पीठ पर बड़ा सा थैला लिए सांताक्लाॅज बच्चों को क्रिसमस का उपहार देने के लिए आए। वह सभी सो रहे बच्चों के पास जाते और अपने थैले से कोई उपहार निकाल कर उनके सिरहाने रख देते थे। साइमन बहुत उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहा था कि देखें सांताक्लाॅज उसको क्या उपहार देते हैं। लेकिन यह क्या, सांताक्लाॅज तो दूसरी तरफ जाने लगे। उन्होंने साइमन को कोई भी उपहार नहीं दिया।
साइमन ने सोचा शायद सांताक्लाॅज उसे देख नहीं पाए हैं। इसलिए वह बोल पड़ा-‘‘सांताक्लाॅज मैं इधर हूॅं। मेरा उपहार तो देते जाइए।’’
‘‘मैं गन्दी आदत वाले बच्चों को पसन्द नहीं करता। मैं सिर्फ उन बच्चों को उपहार देता हूॅं जो मन के साफ होते हैं। जो अपनी मेहनत पर भरोसा रखते हैं और दूसरों से ईष्र्या
नहीं करते हैं। तुमने आज दिन में बहुत गंदी हरकत की है। बेईमानी के सहारे पुरस्कार झटकने की कोशिश की है तुमने। मैं तुमसे बहुत नाराज हूॅं।’’ सांताक्लाॅज ने साइमन की तरफ देख कर कहा और उसकी बगल वाली चारपाई पर सो रही उसकी बहन रोजी की तरफ बढ़ गए। सांताक्लाॅज ने अपने झोले से निकाल कर रोजी के सिरहाने उपहार का पैकेट रखा और कमरे से बाहर चले गए। अचानक तभी साइमन की नींद खुल गयी। वह सांताक्लाॅज को ढ़ूॅंढने लगा। ़अपने चारों तरफ वह आॅंखें फाड़-फाड़ कर देखने लगा लेकिन सांताक्लाॅज कहीं भी नहीं दिखे।
‘‘कोई बात नहीं सांताक्लाॅज, मैं मानता हूॅं कि आज मुझसे गलती हुई है। लेकिन अब ऐसा नहीं करूॅंगा। मैं आपको अच्छा बच्चा बन कर दिखाऊॅंगा और अगले क्रिसमस पर आपसे उपहार जरूर जरूर लूॅंगा।’’ साइमन ने कहा और करवट बदल कर सो गया।